......... अनायास ही उन्हें मुन्ना की याद आ गयी। सागर किनारे की शांत सुहानी शाम और हाथों में बाल्टी ... ......... अनायास ही उन्हें मुन्ना की याद आ गयी। सागर किनारे की शांत सुहानी शाम ...
जब से मूर्ति खोई उसकी इच्छा ही नहीं होती थी घर जाने की जब से मूर्ति खोई उसकी इच्छा ही नहीं होती थी घर जाने की